अन्जाना सफ़र ज़िन्दगी का
जीवन का हर पल
अन्जाना ही होता है
जैसे हर अपना बेगाना
भी होता है
जान-पहचान एक हादसा है बस
इससे बचकर गुज़र पाना
मुश्किल बड़ा होता है
इतनी भीड़ में मिल ही जाते हैं
कुछ चेहरे पहचाने हुए
जिन्हे नकार पाना नामुमकिन
ही होता है
किसने दर्द कितना
छुपा रखा है अन्दर
उसे जान पाना सम्भव
नही होता है
क्या सही है और क्या गलत
ये कौन समझाएगा
इसी उधेड़ बुन में ये जीवन
भी कट जाएगा…
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