Monday, October 31, 2011

October 2011

















अन्जाना सफ़र ज़िन्दगी का


जीवन का हर पल
अन्जाना ही होता है
जैसे हर अपना बेगाना
भी होता है
जान-पहचान एक हादसा है बस
इससे बचकर गुज़र पाना
मुश्किल बड़ा होता है
इतनी भीड़ में मिल ही जाते हैं
कुछ चेहरे पहचाने हुए
जिन्हे नकार पाना नामुमकिन
ही होता है
किसने दर्द कितना
छुपा रखा है अन्दर
उसे जान पाना सम्भव
नही होता है
क्या सही है और क्या गलत
ये कौन समझाएगा
इसी उधेड़ बुन में ये जीवन
भी कट जाएगा…

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