Monday, October 29, 2012
Monday, October 22, 2012
Saturday, October 13, 2012
Friday, October 12, 2012
Monday, October 1, 2012
बच्चे लगाते हैं मौत की छलांग
ये लखनऊ के जांबाज बच्चे और किशोर हैं। जान हथेली पर लेकर छलांग लगाने
वाले बच्चों के साहस का बेहतर और सार्थक इस्तेमाल हो सकता है। लेकिन न
नेताओं को इसकी फिक्र है और न धंधेबाज समाजसेवी संगठनों को। बच्चों की
जान-जोखिम में डालने वाली इन हरकतों पर पुलिस प्रशासन को भी कोई चिंता
नहीं। किसी की जान जाएगी तो पंचनामा भर जाएगा, ड्यूटी पूरी हो जाएगी, किसी
की जान जाएगी तो जाए... यह जो दृश्य आप देख रहे हैं, वह लखनऊ शहर का है।
डालीगंज रेल पुल पर आप कभी भी दिन में हैरत से भरा यह दृश्य देख सकते हैं।
ट्रेन अपनी गति से आ रही होती है। छलांग लगाने वाले किशोर ट्रेन का ही
इंतजार करते रहते हैं। ट्रेन नजदीक आती गई और छलांगें लगती गईं। एक कूदा,
दूसरा कूदा, तीसरा कूदा, ट्रेन नजदीक आ गई... फिर भी कूदने का क्रम जारी
है। अरे...अरे...अरे ये तो मरा। आप भले ही यह बोलते रहें, चीखते रहें छपाक
छपाक की आवाज आती रहेगी और मौत के डर की खिल्लियां उड़ती रहेंगी। ये ट्रेन
चली गई। फिर से तैयारी शुरू... अगली ट्रेन का इंतजार... और फिर शुरू हुआ
छपाक, छपाक।
Subscribe to:
Posts (Atom)